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The Train... beings death 10

   थोड़ी देर बाद जब चिंकी ने अपने साथ ट्रेन में घटी सारी घटनाएं इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को बता दी। तब उसने एक लंबी सांस लेकर अपने सर को कुर्सी से टिका दिया।

 चिंकी इस वक्त बहुत ही ज्यादा थकी हुई दिख रही थी। इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज से कहकर चिंकी के सोने की व्यवस्था करवा दी। नीरज ने चिंकी को ले जाकर वहां के गेस्ट रूम में सुला दिया।

 चिंकी उस कमरे में जाकर आराम की नींद सो गई थी।  सब इंस्पेक्टर नीरज ने इंस्पेक्टर कदंब को आकर बताया कि चिंकी गहरी नींद में सो चुकी थी। इंस्पेक्टर कदंब ने एक कांस्टेबल को कहा, "तुम जाकर चिंकी के कमरे के बाहर ध्यान रखो और अगर कुछ भी गड़बड़ लगती है.. तो तुरंत हमें खबर करना।"
 उस कांस्टेबल ने  याचना भरी नजरों से इंस्पेक्टर कदंब को देखा और कहा, "सर..!  अगर आपको कोई प्रॉब्लम ना हो तो.. अपने साथ एक और कांस्टेबल को ले जाऊं। अकेले वहां खतरा भी हो सकता है।" कांस्टेबल में गर्दन झुका कर पूछा।
 इंस्पेक्टर कदंब ने भी हां मैं सिर पर हिलाते हुए दूसरे कांस्टेबल को साथ में जाने का इशारा किया। दोनों कॉन्स्टेबल जल्दी ही कमरे से बाहर चले गए। बाकी के लोग चिंकी की कही बात पर गंभीरता से विचार करने लगे थे।
 उन्हें बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि इस मुसीबत का क्या किया जाए?? सभी गहन चिंता में डूबे हुए थे। इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही इस केस पर 2 दिन से काम कर रहे थे और इतने पेचीदा केस के कारण उनकी नींद उड़ गई थी।
 सब इंस्पेक्टर नीरज में दूसरे कॉन्स्टेबल से चाय लाने के लिए कहा।सब इंस्पेक्टर नीरज ने इंस्पेक्टर कदंब से पूछा, "सर.. मुझे इस वक्त चाय की बहुत ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है  क्या आप भी चाय पीना पसंद करोगे।"

 नीरज के सवाल पर कदंब ने हां में गर्दन हिला कर.. अपनी आंखें बंद करके.. अपना सर कुर्सी पर टिका दिया। नीरज ने जल्दी ही एक कॉन्स्टेबल से चाय लाने के लिए कहा.. तो दोनों कांस्टेबल एक साथ चाय लाने के लिए निकल गए।

 इस वक्त पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर कदंब और नीरज ही थे। पूरा पुलिस स्टेशन एकदम शांत था। बस घड़ी की टिक... टिक... की आवाजें  उस शांति को भंग कर रही थी। थोड़ी देर में दोनों की ही कुर्सी पर बैठे बैठे ही आंख लग गई थी।
 जब दोनों कांस्टेबल चाय लेकर आए तो कांस्टेबलों की आवाज से नीरज और कदंब की नींद टूटी।  इंस्पेक्टर  कदम हाथ मुंह धोने के लिए बाथरूम में चला गया। नीरज ने भी मटके से ठंडा पानी निकाल कर अपने चेहरे पर पानी के कुछ छींटे  दे मारे और जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
 नीरज अपने हाथ में चाय का गिलास पकड़े कुछ सोच रहा था कि तभी इंस्पेक्टर कदंब ने आकर नीरज के कंधे पर हाथ रखा। इंस्पेक्टर कदंब के ऐसे अचानक से हाथ रखने के कारण नीरज एकदम से चौक गया था। जिसके कारण गिलास से हल्की सी चाय छलक कर उसके हाथ पर गिर गई। 
जब इंस्पेक्टर कदंब ने चाय गिरी देखी तो उसने नीरज से माफी मांगते हुए कहा, "सॉरी नीरज..!! मेरा मकसद तुम्हें डराना या ऐसा कुछ करना नहीं था। सॉरी..!!" 
नीरज ने भी कहा, "कोई बात नहीं सर हो जाता है।"
नीरज और कदंब परेशानी के बारे में सलाह मशवरा कर रहे थे.. तब तक हल्का हल्का सवेरा होने लगा था। अभी तक उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इस परेशानी का हल कैसे निकाला जाए।  अब उन्हें सारी वजह तो पता चल गई की ट्रेन ही सारे फसाद की जड़ थी। पर उस ट्रेन का आना जाना शुरू कैसे हुआ और ट्रेन की आवाजाही को कैसे रोका जाए..??
 उन लोगों को इस बात का कोई भी समाधान नहीं मिल रहा था। अभी तक वह बस ट्रेन के ही आसपास घूम रहे थे।
 पर एक बार चिंकी की बताई हुई बातों से सामने आई थी.. वह  य़ह कि लास्ट स्टेशन के बाद चिंकी को खुद भी पता नहीं चला कि वो स्टेशन पर कैसे उतरी? और इन सब के बीच और क्या-क्या घटनाएं घटी..??
 सवेरा होने लगा था.. तब तक कदंब और नीरज की हालत बिगाड़ने लगी थी.. उन दोनों को कुछ समय के लिए आराम करने अपने घर जाने की जरूरत महसूस हुई। उन्होंने घर जाने से पहले चिंकी को उसके माता पिता के पास पहुंचाने का निश्चय किया।
 जब वो लोग चिंकी को उसके घर छोड़ने के लिए पुलिस स्टेशन से निकल ही रहे थे कि एक विचित्र केस उनके सामने आया। एक छोटी बच्ची जिसकी उम्र लगभग 15 साल थी.. के साथ एक अजीब दुर्घटना हुई थी.. पिछली रात को।
 जब रात को चिंकी कदंब और नीरज को मिली उसी वक्त लड़की रात में गायब हो गई थी और पूरी रात के बाद सुबह वह लड़की एक अजीब हालत में उसके घर वालों को उस स्टेशन के बाहर बेहोश मिली।
उसकी हालत देखकर ऐसा लगता था कि जैसे किसी ने उसके साथ बहुत ही बर्बरता पूर्ण व्यवहार किया था.. और उसका शरीर बहुत ही अजीब दिखाई दे रहा था। इंस्पेक्टर कदंब को पता चलते ही उन्होंने उस बच्ची को लेकर डॉ शीतल के पास भेजने का निश्चय किया। 
 इंस्पेक्टर कदंब ने डॉ शीतल को फोन करके उनके आने की पूर्व सूचना दे दी। चिंकी और नीरज दोनों ही इस वक्त पुलिस जीप में ही बैठे थे और आगे क्या होगा इस बारे में विचार कर रहे थे..?? इंस्पेक्टर कदंब ने नीरज से कहा, "नीरज... ऐसा करते हैं पहले फॉरेंसिक लैब चलते हैं। उसके बाद चिंकी को छोड़ने के लिए इसके घर चलेंगे।"
 उस लड़की के परिवार वालों को इंस्पेक्टर कदंब ने आश्वासन देते हुए कहा, "आप लोग बिल्कुल भी चिंता ना करें.. आपकी बेटी के साथ.. जिसने भी.. जो कुछ भी गलत करने की कोशिश की है.. उसे हम जल्दी ही ढूंढ निकालेंगे और आपकी बेटी भी जल्दी ही ठीक हो जाएगी।" ऐसा कहकर इंस्पेक्टर कदंब ने उस लड़की को एंबुलेंस में बिठाकर फॉरेंसिक लैब रवाना कर दिया और खुद पीछे-पीछे जीप लेकर चल दिया।
 फॉरेंसिक लैब में डॉ शीतल ने पहले ही उस लड़की की जांच करने की सब तैयारियां कर ली थी। पूरा फॉरेंसिक लैब बस उस एंबुलेंस के पहुंचने का ही इंतजार कर रहा था। कुछ ही देर में एंबुलेंस फॉरेंसिक लैब पहुंच गई। लैब के कर्मचारियों ने उस लड़की को निकालकर स्ट्रेचर पर रखा और लैब के एक स्पेशल रूम में पहुंचा दिया। जहां पर डॉक्टर शीतल उसको एग्जामिन करने वाली थी।
 डॉ शीतल ने उसको एग्जामिन करना स्टार्ट कर दिया। जैसे-जैसे उस लड़की के बारे में डॉक्टर शीतल को पता चलता रहा था.. वैसे वैसे ही उनके माथे पर चिंता की रेखाएं गहरी होती जा रही थी। लगभग 1 घंटे बाद डॉ शीतल ने उसका एक्जामिनेशन पूरा किया.. तब तक इंस्पेक्टर कदंब, और नीरज और चिंकी बाहर ही डॉ शीतल का इंतजार कर रहे थे। रूम से बाहर निकलने पर डॉ शीतल के चेहरे पर पड़ी चिंता की रेखाएं देखकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज भी टेंशन में आ गए थे। डॉ शीतल ने उन्हें अपने केबिन में आने के लिए कहा और खुद जल्दी-जल्दी केबिन में चली गई। 
 चिंकी को वही बाहर बैठने के लिए कह कर इंस्पेक्टर  कदंब और नीरज दोनों डॉ शीतल के केबिन में चले गए। बाहर चिंकी कॉरिडोर में ही बैठी थी। डॉ शीतल ने रिसेप्शन पर फोन करके चिंकी का ध्यान रखने के लिए बोल दिया था। डॉ शीतल ने रिसेप्शन पर फोन करके कहा, "बाहर एक छोटी बच्ची बैठी है.. उसका ध्यान रखना और उसको कुछ नाश्ता करवा देना। इंस्पेक्टर साहब को थोड़ा सा टाइम लगेगा.. इसलिए तब तक उसका अच्छे से ख्याल रखना।" ऐसा कहकर डॉ शीतल ने फोन काट दिया और इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखते हुए कहा, 
"इंस्पेक्टर साहब..!! यह लड़की आपको कहां मिली..???" डॉक्टर शीतल के चेहरे पर चिंता की गहरी रेखाएं खींची हुई थी। 
 इंस्पेक्टर कदंब ने असमंजस से कहा, "डॉक्टर.. वह लड़की स्टेशन के आसपास उसके घर वालों को ही मिली थी। पर उसकी हालत देखकर वह लोग पुलिस स्टेशन पहुंचे थे।"
 डॉ शीतल ने चिंता करते हुए कदंब से कहा, "देखिए इंस्पेक्टर साहब.. उस लड़की की हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है.. बल्कि वो बहुत ही बुरी कंडीशन में है। और तब तक उसके बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकती जब तक कि उसके जो कुछ टेस्ट करवाए हैं उनके प्रॉपर रिजल्ट पता ना चल जाए  पर उसकी हालत देखकर ऐसा लग रहा है कि बहुत ही बुरी दुर्घटना उसके साथ हुई है। यह भी हो सकता है कि यह किसी बड़े आने वाले खतरे की शुरुआत हो।" ऐसा कहकर डॉ शीतल ने अपना सर नीचे झुका कर टेबल पर रख दिया।
 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज एक दूसरे की शक्लें  देख रहे थे। बहुत ही गंभीर हालात हो गए थे इतने बुरे कि किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि अगले शब्द क्या होने चाहिए?? 
 कुछ वक्त तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद कदंब ने पूछा, "डॉ शीतल.  एक बात बताइए.. उस बच्ची की रिपोर्ट कब तक मिलेगी और उसकी हालत कब तक ठीक हो पाएगी??"
 शीतल ने सर झुका कर नाकामी से कहा, "कुछ नहीं कह सकते.. मुझे लगता है कि कुछ बहुत ही बड़ा और भयानक होने वाला है। आप लोगों के लिए  बहुत ही ज्यादा परेशानियां पैदा होने वाली है। साथ ही साथ बहुत ही जल्द पूरे शहर के लिए कोई बड़ी मुसीबत पैदा होने वाली है।" ऐसा कहकर शीतल ने बोलना बंद किया तो सभी लोग टेंशन भरे चेहरे के साथ एक दूसरे को देख रहे थे।
 नीरज ने फिर से पूछा, "रिपोर्ट कब तक आ जाएगी डॉ..??" 
 शीतल ने कहा, "कम से कम 2 घंटे लगेंगे.. उससे पहले हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं। हो सकता है जो हम सोच रहे हो वैसा कुछ भी ना हो.. पर ऐसा होने के चांसेस बहुत ही कम है। टेंशन वाली बात सच में है.. बस भगवान से प्रार्थना है कि जो अभी तक लग रहा है वैसा कुछ ना हो।"
 इंस्पेक्टर कदंब ने खड़े होते हुए, "कहा ठीक है फिर... शीतल हम चिंकी को उसके घर पर पहुंचा कर आते हैं। वह छोटी बच्ची है और उसके लिए यहां रुकना ठीक नहीं होगा। हम लोग भी तब तक फ्रेश होकर यहां पर पहुंच जाते हैं। आपने 2 घंटे के लिए कहा है.. हम उससे पहले ही यहां होंगे।"  
ऐसा कहकर इंस्पेक्टर  कदंब बने 2 घंटे बाद आने के लिए शीतल से कहा। ऐसा कहकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों ही चिंकी को छोड़ने उसके घर चले गए। 
 अरविंद और अनन्या दोनों ही पुलिस स्टेशन जाने की तैयारी में ही थे कि पुलिस की जीप वहां आकर रुकी। उसमें से सबसे पहले सब इंस्पेक्टर नीरज उतरा और दूसरी तरफ से इंस्पेक्टर कदंब में जीप के बाहर पैर रखा। अरविंद और अनन्या एक दूसरे की तरफ टेंशन भरी नजरों से देख रहे थे कि तभी नीरज ने गोद में लेकर चिंकी को  जीप से नीचे उतारा। 
चिंकी को सही सलामत देखते ही अरविंद और अनन्या के आंखों से आंसू बहने लगे। उनके शब्द मुंह से बाहर निकल ही नहीं रहे थे। अरविंद और अनन्या एक दूसरे की तरफ देख कर ही रोने लगे थे.  और उन्हें बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहें..??  इतने में चिंकी..
 मम्मीऽऽऽऽ पापाऽऽऽऽ..!!
 बोलते हुए दौड़ कर उनके पास पहुंची। जैसे ही चिंकी उनके पास  पहुंची अनन्या और अरविंद घुटनों के बल जमीन पर बैठ गए और रोने लगे। रोते हुए  वह लोग चिंकी को देख रहे थे.. पर उसे छूने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे।  उन्हें लगा कहीं वह सपना ना हो के हाथ लगाते ही टूट जाए।
 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज उन दोनों ऐसी हालत देखकर अपने आप को भावुक होने से नहीं रोक पाए थे। उनकी भी आंखों में आंसू आ गए थे.. तभी चिंकी ने मांऽऽऽ..!!!  बोलते हुए अनन्या को गले लगा लिया। चिंकी के गले लगते ही अनन्या और अरविंद दोनों चिंकी के गले लग कर जोर जोर से रोने लगे। 2 मिनट बाद अनन्या चिंकी के चेहरे को बेतहाशा चूमे जा रही थी। वह कभी उसके हाथों को चूम रही थी.. तो कभी उसके माथे को।
 अरविंद उन दोनों को बस ऐसे देख रहे थे। चिंकी ने पापाऽऽऽ..!!  कहते हुए अरविंद को भी गले  से लगाया। अरविंद को ऐसा लगा कि संसार की सारी संपत्ति इस एक पल पर न्योछावर की जा सकती है। ऐसा सोच कर उन्होंने कसकर चिंकी को गले लगाया। थोड़ी देर के मेल मिलाप के बाद अरविंद और अनन्या को ध्यान आया कि इंस्पेक्टर कदंब और नीरज भी वही थे। 
उन्होंने इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को बहुत-बहुत धन्यवाद कहा और अंदर चलकर चाय नाश्ता करने के लिए कहा। अरविंद ने  बहुत ही आभार व्यक्त करते हुए कहा, "आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इंस्पेक्टर..!!  कि आपने हमारी चिंकी को ढूंढ दिया।" ऐसा कहते हुए उनकी आंखों से फिर से आंसू बह निकले।
 अनन्या ने भी चिंकी का हाथ कस कर पकड़ लिया और इंस्पेक्टर से कहा, "इंस्पेक्टर साहब.. प्लीज अंदर आइए और चाय नाश्ता कर लीजिए। सुबह-सुबह आप लोग पुलिस स्टेशन से ही आ रहे हैं.. तो आप लोगों ने कुछ खाया नहीं होगा।"
 इंस्पेक्टर कदंब ने उनसे कहा, "नहीं.. नहीं.. अनन्या जी इस वक्त एक बहुत ही सीरियस केस आया है। उसके कारण हम रुक नहीं सकते.. पर जल्दी ही चाय नाश्ते के लिए जरूर आएंगे।  और हां.. एक बात प्लीज आप लोग अंधेरा होने के बाद घर से बाहर मत निकलिएगा।" ऐसा कहकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज वापस जीप में बैठकर चले गए।
 लगभग 1 घंटे के बाद इंस्पेक्टर कदंब और सब इंस्पेक्टर नीरज नहा धोकर फ्रेश होकर फॉरेंसिक लैब पहुंचे। जहां डॉ शीतल बहुत ही टेंशन में उनका इंतजार कर रही थी। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बात कितनी सीरियस हो सकती थी।
 कुछ भी देर के बाद डॉ शीतल का असिस्टेंट रोहित कुछ पेपर्स के साथ डॉ शीतल के केबिन में  एंटर हुआ। शीतल ने बहुत ही जल्दी उसके हाथ से सारे पेपर्स लेकर जल्दी-जल्दी देखना शुरू कर दिया।
 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज.. डॉ शीतल की जल्दबाजी को बहुत ही अजीब नजरों से देख रहे थे। पूरे पेपर्स देखने के बाद डॉ शीतल के चेहरे पर हवाइयां उड़ती नजर आई थी  शीतल के हाथ पर पैर कांपने लगे थे और एकदम से उसे चक्कर जैसा आ गया। वह अपनी कुर्सी से लगभग गिर ही पड़ी थी कि रोहित ने उन्हें संभाल लिया।
उन्हे ऐसा देखकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज के होश उड़ गए थे। वह भी यह सोच रहे थे कि ऐसा क्या हो गया कि डॉ शीतल की इतनी हालत बिगड़ गई। नीरज ने फटाफट डॉ शीतल को पानी पिलाया और रोहित से जल्दी ही एक कप गरमा गरम स्ट्रांग कॉफी लाने के लिए कहा। रोहित तुरंत ही बाहर कॉफी लेने भागा।
 लगभग 5 मिनट में रोहित कॉफी के साथ केबिन में एंटर हुआ। तब इंस्पेक्टर कदंब डॉ शीतल को एक फाइल से हवा कर रहे थे और नीरज उनके हाथों को रगड़ रहा था। रोहित ने डॉ शीतल को कॉफी पिलाई कॉफी पीने के थोड़ी ही देर में डॉ शीतल नॉर्मल हुई और अपना सर पकड़ कर बैठ गई।
 इंस्पेक्टर कदंब ने कंफ्यूज होते हुए शीतल से पूछा, "डॉ शीतल.. क्या बात है..?? आप की हालत इतनी खराब कैसे हो हो गई??"
 तब शीतल ने सूनी आंखों से कदंब की तरफ देखा और उस लड़की की रिपोर्ट्स कदंब की तरफ बढ़ा दी। इंस्पेक्टर कदंब ने रिपोर्ट्स पढ़ना शुरू किया.. तो उनके चेहरे से भी हवाइयां उड़ना शुरू हो गई। वह लगभग लड़खड़ा ही गए थे.. के तभी नीरज ने उन्हें संभालते हुए वह फाइल लेकर पढ़ना शुरू किया। जैसे-जैसे नीरज फाइल पढ़ता जा रहा था.. उसके चेहरे पर घबराहट, चिंता और डर के भाव दिखाई देने लगे थे। उसकी आंखें लगभग बाहर आने के लिए ही तैयार हो गई थी। अचानक  नीरज की आंखो के सामने अंधेरा छा गया और एकदम से फाइल उसके हाथ से गिर पड़ी।

              क्रमशः.... 

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6 Comments

Punam verma

26-Mar-2022 03:20 PM

अरे बाबा रे बहुत खूब माहौल बना रखा है mam आपने

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इस भाग में भी आपने सभी पात्रों के भावो का जिक्र बड़ी बेहतरीन तरिके से किया है। और हर परिस्थिति का भी। अब देखते है इन रिपोर्ट्स में ऐसा क्या है जिसे पढ़कर इन सबकी हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गयी।

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Sana khan

27-Aug-2021 12:16 PM

Wow

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Aalhadini

28-Aug-2021 06:05 PM

Thanks

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